मध्य प्रदेश के मुखिया माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी को अतिथि शिक्षक सुना रहे हैं कविता के माध्यम से अपनी व्यथा।

14 वर्ष से मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षक रूप में अपने निमितीकरण के लिए वनवास काट रहे अतिथि शिक्षक जिन्होंने मध्य प्रदेश को स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने में अहम भूमिका निभाई जब मध्य प्रदेश का प्रदेश 24 स्थान था उसे चौथे स्थान में लाने अतिथि शिक्षकों ने अपने जीवन का एक दशक से भी ज्यादा समय मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था और बच्चों के भविष्य बनाने में दे दिया किंतु हमारा भविष्य सुरक्षित नहीं हो पाया और 14 वर्ष से अपने नियमितीकरण के लिए वनवास काट रहे हैं जिन्होंने मध्य प्रदेश सरकार से कई बार आवेदन निवेदन किए किंतु अभी तक उन्होंने पद स्थायित्व नहीं किया मामा जी से अतिथि शिक्षक इस कविता
माध्यम से सुना रहे व्यथा कुमार विश्वास की कविता की तर्ज पर है कविता।

कोई टीचर नहीं कहता अतिथि नाम है मेरा।
मेरे घर में गरीबी है पढ़ाना काम है मेरा।।

मेरे बच्चे भी मुझे जाने मुझको यूं पहचाने।
लडूंगा हक है यह मेरा मेरा अधिकार कहता है।।

दमन में दीप जलाता हूं।
अंधियारा मिटाता हूं एक छोटी सी डाली परी सपने को सजाता हूं।।

में 5000 हज़ार में,कैसा घर बार चलाता हूं।

अब मेरी मानो तुम,मुझको यूं पहचानो तुम।
लड़ना हक है मेरा मेरा अधिकार कहता है।।

कोई टीचर नहीं कहता अतिथि नाम है मेरा।
मेरे घर में बरी गरीबी है पढ़ाना काम है मेरा।।

अब मेरी भी मान हो तुम मुझको यूं कह दो तुम।
अतिथि नाम नहीं तेरा गुरुजी नाम है तेरा।।

मेरे बच्चों की यहां से आशा बस है मेरी है एक अभिलाषा है।
ज्यादा मांग नहीं मेरी बस है काम जरा सा,।।

मेरी झोली भर दो तुम मुझको यूं कह दो तुम।
पढ़ाना हक है यह तेरा तेरा अधिकार कहता है।।

पढ़ाना हक है यह तेरा तेरा अधिकार कहता है ।

कोई टीचर नहीं कहता अतिथि नाम है मेरा।
मेरे घर में गरीबी है पढ़ाना काम है मेरा।।

राकेश खंडेलवाल
आजाद स्कूल अतिथि शिक्षक संघ मधयप्रदेश

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