खातेगांव में जंगल माफिया पेड़ों का कर रहे सफाया
जंगल के बीचो-बीच पेड़ों को काटकर बना दिया मैदान
सैकड़ों पर्यावरण प्रेमी आए मैदान में और जंगल को बचाने की खाई कसम
सत्तार खान, खातेगांव,,9754744455
देवास जिले में खातेगांव वन परिक्षेत्र की सब रेंज मनोरा के कक्ष क्रमांक 256 में जंगल की जमीन पर अतिक्रमण करने की मंशा से अतिक्रमण माफियाओ ने सेकड़ो की संख्या में साजड़ व पलाश के पेड़ो को काटकर मैदान बना दिया। बुधवार गुरुवार की दरमियानी रात्रि में वन विभाग टीम ने ग्रामीणों की मदद से बड़ी कार्रवाई कर 40 लोगो को जंगल मे पेड़ काटते हुए दबोच लिया और वन चौकी मनोरा लाकर पूछताछ की।
एसडीओ एस.एल. यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि बड़वानी जिले के साथ ही पानीगांव क्षेत्र और कालीबाई छोटी खीवनी के लगभग 40 लोगों को मंगलवार बुधवार की दरमियानी रात्रि करीब 3:30 बजे वन विभाग की टीम ने ग्रामीणों के सहयोग से घेराबंदी कर लगभग 40 लोगों को सब रेंज मनोरा के कक्ष क्रमांक 256 से पकड़ा है । वन चौकी मनोरा लाने के बाद कुछ लोगों के नाम सामने आए हैं जो इन लोगों को जमीन पर कब्जा करने के लिए उकसा रहे थे कि आपको वन अधिकार पत्र मिल जाएगा जबकि 13 दिसंबर 2005 के अतिक्रमण कारियो को किसी भी प्रकार से वन अधिकार पत्र नहीं मिल सकता है। जैविकता अधिनियम व भारतीय वन अधिनियम
के तहत उक्त लोगों पर कार्रवाई कर कोर्ट में पेश किया जाएगा।
वही क्षेत्र में अतिक्रमण माफियाओं की जानकारी मिलते ही पर्यावरण प्रेमी देवीनारायन मीणा के साथ सेकड़ो लोग वन चौकी मनोरा में पहुँचे, जहाँ जंगल को बचाने की कसम खाई ओर जंगल माफियाओं को चेतावनी देते हुए कहा कि अब जंगल से एक भी पेड़ काटा तो खैर नही होगी। पर्यावरण प्रेमी देवीनारायण मीणा ने बताया कि प्रकृति जिंदा रहेगी तो हम जिंदा रहेंगे पिछले 15 वर्षों से में प्रकृति बचाने के लिए संघर्ष कर रहा हूं क्षेत्र के 20 गांवो में हजारों की संख्या में आदिवासी हैं किंतु उन्होंने कभी जंगल को नुकसान नहीं पहुंचाया और न ही जंगल की जमीन पर कब्जा करने का सोचा उनका मानना हे कि जंगल रहेंगे तो हम तेंदूपत्ता, अचार, महुआ व गोंद तोड़कर परिवार का पालन पोषण कर सकते हैं। किंतु बाहर के आदिवासियों ने सैकड़ों की संख्या में पेड़ पौधे काटकर जंगल की जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं किंतु हम ऐसा होने नहीं होने देंगे। जंगल को बचाने के लिए ग्राम मनोरा की महिलाएं भी सामने आई उन्होंने कहा कि बाहर के लोग आकर हमारे जंगल के पेड़ पौधे काट कर जमीन पर कब्जा कर लेंगे तो हमारा क्या होगा हमारे मवेशी उसी जंगल में चरते हैं तेंदूपत्ता और अचार हम उन्हीं पेड़ों से तोड़ कर लाते हैं।